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Jan 04, 2021 05:41:00 PM | Article | Campaign India Team Share -
1)
आसमां की ऊंचाईयों तक पहुंची नारी, फिर भी जग बोले बारी-बारी,
“ढोल, गंवार, शूद्र,पशु ,नारी सकल ताड़ना के अधिकारी।“
2)
घर, बच्चे, इज्जत, परिवार मेरी नहीं बस इतनी परिभाषा,
तेरी बनाई इस दुनियां में देख मैंने खुद का नया वजूद रच डाला।
3)
राम स्कूल जाता है...
क्यों सीता पानी भरती है...?
समानता की पहली नींव यही से रखनी है।
4)
क्यों अगर मैं हंसी तो फंसी..
इस बात का फैसला करने का हक तुमको नहीं।
5)
कभी देवी, कभी सीता, कभी जगदम्बा
बस अब ये दर्जा रहने दो,
मैं इंसान हूं मुझे इंसान बनकर रहने दो।